Jiwat Mariye Bhavjal Tariye
जीवत मरिए भवजल तरिएइस पुस्तक में 1960 से 1970 दशक में महाराज चरन सिंह जी से भजन-सुमिरन के अभ्यास के विषय में पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर हैं। इन्हें पढ़कर पाठक को भजन-सुमिरन का अभ्यास करने की नेक सलाह और भक्ति-संबंधी पहलू पर उपयोगी प्रेरणा मिलती है। पुस्तक के आरंभ में संतों की शिक्षा का सारांश दिया गया है, और फिर भजन-सुमिरन का उद्देश्य; उसके लिए उचित वातावरण; उसके अभ्यास और उसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के अंत में भजन-सुमिरन से संबंधित विषय जैसे दया-मेहर, प्रेम और भक्ति-भाव पर चर्चा की गई है। पुस्तक का शीर्षक, अभ्यास में लीन साधक की उस अवस्था ‘जीते-जी मरना’ की ओर संकेत करता है, जिसमें आत्मा स्थूल शरीर में से सिमटकर अंदर के रूहानी मंडलों में प्रवेश करती है।This book consists of questions and answers concerning meditation, asked of Maharaj Charan Singh during the 1960s and 1970s. The reader will find practical advice and encouragement in his explanations of the technical as well as devotional aspects of meditation. The book begins with an overview of the teachings of the saints, and covers (in question and answer format) the purpose of meditation, creating an atmosphere for meditation, the meditation practice, the effects of meditation, and ends with a section on grace, love and devotion as they relate to meditation. The title refers to the meditative state known as “dying while living,” when the soul withdraws from the physical body and enters the spiritual realms within.English: Die to LiveAuthor: Maharaj Charan Singh Category: RSSB Tradition: The Masters Format: Paperback, 336 Pages Edition: 11th, 2018 ISBN: 978-93-86866-47-9 RSSB: HI-011-0 Price: USD 8 including shipping. Estimated price: EUR 7.57, GBP 6.57 |