Parmarthi Pattar I
परमार्थी पत्र भाग - 1इस पुस्तक में बाबा जैमल सिंह जी के पत्रों का अनुवाद है, जो उन्होंने अपने शिष्य और होने वाले उत्तराधिकारी हुज़ूर महाराज सावन सिंह जी को लिखे थे। इन पत्रों के द्वारा पाठकों को वह दुर्लभ जानकारी मिलती है कि किस प्रकार एक महान् संत दूसरे महान् संत को तैयार करते हैं। ये पत्र वर्ष 1896 से 1903 ई. के दौरान उस समय लिखे गए थे, जब महाराज सावन सिंह जी सरकारी नौकरी में थे। इनके द्वारा बाबा जी ने महाराज सावन सिंह जी को ज़िंदगी के हर पहलू पर सलाह भी दी है और अभ्यासी की रहनी तथा भजन-सुमिरन के लिए ख़ास हिदायतों के साथ-साथ प्रेरणा भी दी है । इन पत्रों में लिखी गई बातें विशेष रूप से उनके होनेवाले उत्तराधिकारी महाराज सावन सिंह जी के लिए ही थीं, पर इनमें कुछ बातें ऐसी भी हैं जिनसे सभी सत्संगी और जिज्ञासु लाभ उठा सकते हैं। This book gives the reader a rare look into the spiritual grooming of one great saint by another and contains translations of letters written by Baba Jaimal Singh Maharaj to his disciple and successor, Maharaj Sawan Singh. Covering the period 1896-1903, when Maharaj Sawan Singh was still in government service, these letters contain personal advice as well as specific instructions and encouragement in matters of meditation and the spiritual way of life, from which all disciples and spiritual seekers can benefit. English: Spiritual LettersAuthor: Baba Jaimal Singh Category: RSSB Tradition: The Masters Format: Paperback, 296 Pages Edition: 18th, 2016 ISBN: 978-93-89810-38-7 RSSB: HI-216-0 Price: USD 8 including shipping. Estimated price: EUR 7.57, GBP 6.57 |