Sar Bachan Sangreh
सारबचन संग्रहसारबचन संग्रह हुज़ूर स्वामी जी महाराज के ‘शब्दों’ (पदों) का संग्रह है। ये शब्द हमें स्वामी जी महाराज के आध्यात्मिक मार्ग, संतमत की शिक्षा से अवगत कराते हैं। उनके सशक्त ‘शब्द’ (पद) हमें जीवन की वास्तविकता के प्रति जाग्रत करते हैं। ये हमें लगन के साथ आंतरिक अभ्यास करने तथा परमात्मा से अपने उस संबंध का अनुभव करने की प्रेरणा देते हैं जो मनुष्य का एकमात्र स्थायी संबंध है। स्वामी जी ने कुछ प्रश्नों के उत्तर बड़े ही प्रभावशाली ढंग से दिए हैं, जैसे—हम कौन हैं? हम कहाँ से आए हैं? हम यहाँ क्यों हैं? क्या हमारे जीवन की घटनाओं का कोई तर्क संगत कारण है? अपने व्यक्तिगत विकास के संबंध में मार्ग दर्शन प्राप्त करने के लिए हमें कहाँ जाना चाहिए? क्या मनुष्य के रूप में अपनी संभावित क्षमता प्राप्त करना और मनुष्य-जीवन के उद्देश्य को पूणर्तया सिद्ध करना हमारे लिए संभव है? और अगर संभव है तो इसके लिए हमें क्या करना होगा?The second volume of Sar Bachan consists of the poetry by Soami Ji Maharaj. The poems convey the teachings of Sant Mat, the mystic path taught by Soami Ji. They are powerful exhortations for us to awaken to the true reality of life and devote ourselves to the only lasting relationship, with God, through devotion to the inner meditation practice. Soami Ji forcefully addresses such questions as: Who are we? Where do we come from? Why are we here? Is there a rational explanation for the events of life? Where can we go to get guidance on personal evolution? Is it possible to achieve our human potential and fully realize life's purpose, and if so, how? English: Sar Bachan Poetry (Selections)Author: Soami Ji Maharaj Category: RSSB Tradition: The Masters Format: Hardcover, 432 Pages Edition: 15th. 2008 ISBN: 978-93-89810-16-5 RSSB: HI-035-0 Price: USD 11 including shipping. Estimated price: EUR 10.41, GBP 9.04 |