Hazrat Sultan Bahu
हज़रत सुलतान बाहूसत्रहवीं शताब्दी के महान् सूफ़ी संत हज़रत सुलतान बाहू, साईं बुल्लेशाह के समकालीन थे। बाहू उत्तरी भारत में विशेष लोकप्रियता प्राप्त करनेवाले सूफ़ी संतों में से एक हैं। बाहू की सबसे प्रसिद्ध रचना ‘अब्याते बाहू’ पंजाबी भाषा में है और इसके चार पंक्तियों वाले पद्य बैतों के रूप में लिखे गए हैं। पुस्तक में हज़रत सुलतान बाहू के जीवन और शिक्षा के उल्लेख के बाद उनके बैतों का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। उनके कलाम में फ़ारसी की सूफ़ी कविता का-सा रस है और उसका विषय आत्मिक अनुभूति, सतगुरु से प्रीति और कट्टरपंथी धर्म के निरर्थक कर्मकांड तथा बहिर्मुखी क्रियाओं का खंडन हैA Sufi mystic and contemporary of Bulleh Shah, Sultan Bahu lived during the seventeenth century and became one of the best loved Sufi Saints of northern India. Sultan Bahu wrote his major poetic works in the Punjabi language using the quatrain form (abiyat). His poetry, which has the flavour of Persian mystic poetry, dwells on spiritual realization, love for the Master (murshid), and denunciation of orthodox religion with its empty rituals and external observances. The poetry section is preceded by a thorough account of Bahu's life and teaching. English: Sultan BahuAuthor: Dr. Kirpal Singh Khak, Prof. Janak Raj Puri Category: Mystic Tradition Format: Paperback, 368 Pages Edition: 1st. 2002 ISBN: 978-81-8256-296-7 RSSB: HI-044-0 Price: USD 8 including shipping. Estimated price: EUR 7.57, GBP 6.57 |