Sarmad Shaheed
सरमद शहीदसत्रहवीं शताब्दी के यहूदी संत सरमद का जन्म ईरान में हुआ था और वे एक व्यापारी के रूप में भारत आए। यहीं उन्हें आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ। सरमद ने सिखाया कि परमात्मा किसी एक धर्म की जायदाद नहीं है। उनकी रुबाइयों में प्रभु-मिलन के व्यक्तिगत आंतरिक अनुभव से होनेवाले उल्लास और आनंद की अभिव्यक्ति है। बुलंद अंदाज़ में निर्भीकतापूर्ण दिए गए उपदेश के कारण कट्टरपंथियों नें उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इस पुस्तक में सरमद के उपदेश का विश्लेषण, उनका जीवन चरित तथा उनकी रुबाइयों का संग्रह है। पुस्तक में यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि सरमद की शिक्षा में भी वे ही बातें पाई जाती हैं जो यहूदी, ईसाई, इस्लाम, हिंदू और ताओवाद की, या यों कहें कि सारे संसार की आध्यात्मिक शिक्षा में देखने को मिलती हैं।Sarmad, a seventeenth century Jewish saint, was born in Persia and travelled to India as a trader, ultimately finding spiritual realization. Sarmad taught that God cannot be confined to any particular religion. His poems express the ecstasy and bliss of union with the Lord through direct personal spiritual experience. His outspoken style and the boldness of his teachings led to his execution by the orthodoxy. The book contains an analysis of Sarmad's teachings, a sketch of his life, and a collection of his poetry exploring the commonalities with mystic teachings worldwide as found in Judaism, Christianity, Taoism, Islam, Hinduism and other religions.Author: Dr. T. R. Shangari, P. S. AlamCategory: Mystic Tradition Format: Paperback, 280 Pages Edition: 2nd. 2003 ISBN: 978-81-8256-298-1 RSSB: HI-210-0 Price: USD 7 including shipping. Estimated price: EUR 6.62, GBP 5.75 |