Bhakti Ki Mahima
भक्ति की महिमा किसी श्रेष्ठ सत्ता अथवा शक्ति के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का भाव होना मानव जाति के लिए स्वाभाविक है। यह पुस्तक दर्शाती है कि प्रभु के प्रति सहज प्रेम ही भक्ति है और यही सभी आध्यात्मिक विचारधाराओं का आधार है। जब तक अंतर में भक्ति भाव उत्पन्न नहीं होता, तब तक किसी भी प्रकार का आंतरिक अभ्यास नहीं हो सकता। हिंदुओं के धर्मग्रंथों में भक्ति के जिन विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, उनकी इस पुस्तक में विस्तार से व्याख्या की गई है। आवागमन के अंतहीन चक्र से मुक्ति के साधन के रूप में भक्ति के महातम को उजागर करना ही इस पुस्तक का मुख्य विषय है। The practice of bhakti or devotion to a superior force or being is intrinsic to humanity. The book demonstrates that bhakti, which is the spontaneous love for God, is the foundation of all spiritual disciplines. Without the pull of bhakti within, no spiritual practice is possible. This book explores various forms of bhakti as practised and discussed in the Hindu scriptures. The central theme of the book, is the practice and power of devotion as a means of liberation from the endless cycles of transmigration. English: Practice and Power of DevotionAuthor: K.Sankaranarayanan Category: Mysticism in World Religions Format: Paperback, 328 Pages Edition: 2nd, 2024 ISBN: 978-93-48134-40-0 RSSB: HI-285-0 Price: USD 9 including shipping. Estimated price: EUR 8.52, GBP 7.39 |