Sant Garib Das
संत गरीबदासअठारहवीं शताब्दी में हुए हरियाणा के संत गरीबदास पर कबीर साहिब का बहुत प्रभाव रहा है। परमपिता परमात्मा की खोज के लिए संत गरीबदास ने एक सच्चे गुरु के महत्त्व पर विशेष बल दिया है। आप कहते हैं कि परमात्मा के साथ एकात्म हुआ पूर्ण सतगुरु ही अपूर्ण शिष्य को परमात्मा तक ले जा सकता है। संत गरीबदास समझाते हैं कि बहिर्मुखी साधना के सारे तरीक़े मनुष्य के अपने बनाए हुए हैं, इसलिए ये सभी अधूरे हैं। प्रभु का नाम, शब्द अथवा नाद ही सभी पूर्वकर्मों के प्रभाव को मिटाकर आत्मा को निर्मल करके प्रभु के साथ मिलाने का एकमात्र साधन है। उनके काव्य की भाषा और शैली बड़ी सरल है जिसे लोग आसानी से समझ सकते हैं।Sant Garibdas was an 18th century mystic of Haryana who was greatly influenced by Kabir Sahib. Sant Garibdas stresses the importance of a true Master in the quest for the heavenly Father. He says that a perfect Master, who is one with the Lord, can alone lead the imperfect disciple to Him. Sant Garibdas explains that all outwardly methods of meditation are man-made and consequently imperfect. The Lord’s Nam, Shabd or Nad is the only true means of erasing the effect of all previous karmas to cleanse the soul for union with Him. The language and style of his compositions is simple and easily understood by the people.Author: T.R.ShangariCategory: Mystic Tradition Format: Paperback, 280 Pages Edition: 1st, 2019 ISBN: 978-93-89810-23-3 RSSB: HI-271-0 Price: USD 7 including shipping. Estimated price: EUR 6.62, GBP 5.75 |