Sant Dariya (Marwar Wale)
सन्त दरिया (मारवाड़ वाले)दरिया साहिब (मारवाड़ वाले) भारत के एक महान संत के रूप में जाने जाते हैं। सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी के दौरान राजस्थान प्रांत के मारवाड़ नामक स्थान पर इनका निवास था। अन्य संत-महात्माओं की तरह इनका उपदेश भी इस सत्य पर आधारित है कि आत्मा परमात्मा की अंश है परंतु अपने कर्मों के बोझ तथा माया के प्रभाव के कारण यह अपने मूल को भूल गई है। एक देहधारी पूर्ण सतगुरु की शरण में आकर ही शिष्य अपने मनुष्य जन्म के उद्देश्य को पूरा कर सकता है। दरिया साहिब (मारवाड़ वाले) बहिर्मुखी धार्मिक कर्मकांड के विरुद्ध थे। अपने निजी अनुभव के आधार पर इन्होंने बड़े सरल तथा स्पष्ट शब्दों में प्रेम, विरह-वेदना, नामभक्ति और सतगुरु का महत्त्व आदि गूढ़ आध्यात्मिक विषयों को समझाया है। इस पुस्तक का उद्देश्य अध्यात्म के खोजियों को उनकी वाणी और उपदेश से परिचित करवाना है।Dariya Sahib (of Marwar) is known as one of the great saints of India. He lived in the region of Marwar in the state of Rajasthan during the 17th and 18th centuries. Like the teachings of other mystics, his teachings are also based on the truth that the soul is a part of the Lord, but owing to its karmic load and the influence of maya it has forgotten its origin. The disciple can fulfil the purpose of his human birth only by taking refuge in a living perfect Master. Dariya Sahib (Marwar wale) was opposed to external ritualistic practices. Based on his personal experiences, he has explained in clear and simple language the deep mystical subjects of love, the anguish of separation, the practice of Nam, and the importance of the Satguru. The objective of this book is to familiarize seekers of spirituality with his teachings and poetry.Author: Janak GorwaneyCategory: Mystic Tradition Format: Paperback, 128 Pages Edition: 1st, 2016 ISBN: 978-81-8466-518-5 RSSB: HI-254-0 Price: USD 5 including shipping. Estimated price: EUR 4.73, GBP 4.11 |