Sukhmani
सुखमनीसुखमनी गुरु अर्जुन देव की एक उत्कृष्ट रचना है। सुखमनी शब्द का अर्थ है—सुख देनेवाली मणि। यह रचना हमारी गहरी आध्यात्मिक मनोकामना को जाग्रत करके पवित्र नाम का अभ्यास करने की प्रेरणा देती है। यह हमें समझाती है कि जिस तरह एक बूँद समुद्र में घुलमिल जाती है, उसी तरह जब ज्योति-स्वरूप आत्मा गुरु के निर्देशों के अनुसार नाम में ध्यान केंद्रित करती है, तब वह उस परमात्मा की परम ज्योति में समा जाती है। मनुष्य तब जीते-जी मुक्त हो जाता है और अपने जीवन का उद्देश्य यानी स्थायी शांति तथा आनंद प्राप्त करता है। सुखमनी की विस्तृत व्याख्या इस पुस्तक के पाठक को प्रोत्साहित करेगी कि वह आध्यात्मिकता के सागर में गहरी डुबकी लगाकर, उसके ख़ज़ानों में से ज्ञान के हीरे-मोती प्राप्त करे। A masterpiece of Guru Arjun Dev, Sukhmani, literally means ‘the jewel of bliss.’ The poem stirs the depths of spiritual desire within the reader and inspires him to meditate on the holy Nam. It explains that just as a drop blends with the ocean, the light of the soul, through meditation on Nam by following the teachings of the true Guru, merges into God’s radiance. One becomes liberated while still living in the human body and attains the goal of human life – eternal peace and bliss. This book, containing an extensive elaboration on "Sukhmani", will provoke the reader to dive deep into the ocean of spirituality to comprehend the profound treasures contained in it. Author: Dr. T. R. ShangariCategory: Mysticism in World Religions Format: Paperback, 336 Pages Edition: 1st, 2011 ISBN: 978-81-19078-15-8 RSSB: HI-234-0 Price: USD 9 including shipping. Estimated price: EUR 8.52, GBP 7.39 |