Baarah Maaha
बारह माहाइस पुस्तक में श्री आदि ग्रंथ साहिब में से दोनों बारह माहा की रचनाओं की व्याप्क व्याख्या की गई है। पहला बारह माहा राग माझ में गुरु अर्जुन देव जी की रचना है और दूसरा राग तुखारी में गुरु नानक देव जी की रचना है। दोनों गुरु साहिबान ने साल के हर महीने से जुड़े कुदरत के बदलते हर रंग और मनोदशा को मुख्य रखकर रचनाएँ की हैं और इनमें एक प्रेम-रोगी दुलहन की अपने पती के बिछोड़े में बिरह-भरी अंतर की पीड़ा को दर्शाया है। असल में यह सारे संकेतक इशारे पती-परमेश्वर के बिछोड़े में तड़प रही आत्मा की हालत को और उस के साथ मिलाप की उसकी तीव्र इच्छा को प्रगट करते हैं।This book comprises an extensive elaboration of the two Baarah Maaha compositions within the Adi Granth; first, by Guru Arjun Dev in Raag Majh and second, by Guru Nanak Dev in Raag Tukhari. The two Gurus use the backdrop of the changing moods of nature that are characteristic of each month of the year to emphasize the inner agony and yearning of a love-sick bride separated from her spouse, symbolizing the longing of the soul for union with the Lord.Author: Dr. T. R. ShangariCategory: Mysticism in World Religions Format: Paperback, 128 Pages Edition: 1st. 2010 ISBN: 978-81-8256-909-6 RSSB: HI-226-0 Price: USD 5 including shipping. Estimated price: EUR 4.73, GBP 4.11 |