Baavan Akhri, Patti aur Dakhani Oankar
बावन अखरी, पटी और दखणी ओंकारबावन अखरी, पटी और दखणी ओंकार आदि ग्रन्थ की बानियाँ हैं। ये बानियाँ देवनागरी और गुरुमुखी लिपि के अक्षरों में रची गई हैं। उस समय इसी तरह से काव्य रचना करने की परंपरा थी, बहुत से अन्य संतों ने भी इसी तरह काव्य रचना की है। बावन अखरी गुरु अर्जुन देव जी की रचना है। इसमें 55 श्लोक हैं, जिनमें गुरु की अनिवार्यता पर अत्यधिक बल दिया गया है कि गुरु के द्वारा ही परमात्मा से मिलाप संभव है। गुरु नानक देव जी ने पटी और दखणी ओंकार नामक बानियों में अपने उपदेश के बहुत से दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं को समझाया है। वे एक ही परमात्मा की महिमा करते हैं और गुरु की दया तथा नामभक्ति द्वारा प्रभु से एक होने पर बल देते हैं। Baavan Akhri, Patti and Dakhani Oankar are banis from the Adi Granth. They are based on the letters of Devnagri and Gurmukhi script. Poetry in this style was a tradition of the time and many other Saints have written poetry on these lines. Baavan Akhri is Guru Arjan Dev’s composition. It contains fifty five slokas emphasizing the paramount importance of the Guru through whom God realization is possible. In his banis Patti and Dakhani Oankar, Guru Nanak explains many philosophical and spiritual aspects of his teachings. He praises the one Lord and lays stress on becoming one with him by the Guru’s grace and meditation on Nam.Author: T. R. ShangariCategory: Mysticism in World Religions Format: Paperback, 288 Pages Edition: 1st, 2018 ISBN: 978-81-19078-18-9 RSSB: HI-264-0 Price: USD 8 including shipping. Estimated price: EUR 7.57, GBP 6.57 |