Sant Rajjab
संत रज्जबसोलहवीं शताब्दी में राजस्थान में हुए संत रज्जब, संत दादूदयाल के प्रमुख शिष्य थे। रज्जब जी उस समय जयपुर के बाहरी इलाक़े में रहते थे। इस पुस्तक में संत रज्जब की जीवनी के साथ-साथ उनकी सुंदर बानी का संकलन है। बानी में मनुष्य-जन्म का उद्देश्य, कर्म-सिद्धांत, मन की चंचलता, पूर्ण गुरु के मार्ग दर्शन और शरण में जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। ये सभी विषय उनके प्रभावशाली आध्यात्मिक संदेश का सार हैं। अपनी प्रेरणामयी और मनोहारी बानी से संत रज्जब ने उस विरह की व्यथा का बड़े सुंदर शब्दों में वर्णन किया है जो परमात्मा के सच्चे प्रेमी को सहनी पड़ती है। उनका अपने गुरु के प्रति गहरा प्रेम था। उन्होंने अपनी बानी में कहा है कि सच्चे प्रेम से बढ़कर और कोई प्रार्थना, कोई पूजा नहीं है। ऐसा प्रेम पैदा करने के लिए वह अध्यात्म के जिज्ञासुओं को अंतर में ध्यान-साधना की प्रेरणा देते हैं।Rajjab, a 16th century mystic from Rajasthan, was a foremost disciple of Sant Dadu who lived just outside present day Jaipur. The book looks at Sant Rajjab's life and explores his beautiful verse to reveal the purpose of human birth, the law of karma, the tricks of the mind, and the need to seek the refuge and guidance of a perfect master – all topics central to his powerful spiritual message. Through inspiring and beautiful verse, the poet saint vividly describes the agony of separation a true lover of the lord must endure. Known himself for his deep devotion to his master, he communicates that there is no prayer or worship more exalted than love for the true Lord. And to cultivate such love, he encourages seekers of spirituality to engage with the inner practice of meditation. Author: Janak GorwaneyCategory: RSSB Tradition: Other Authors Format: Paperback, 200 Pages Edition: 1st, 2014 ISBN: 978-81-8466-453-9 RSSB: HI-247-0 Price: USD 6 including shipping. Estimated price: EUR 5.68, GBP 4.93 |